Swati Sharma

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लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 29)

   लॉकडाउन वह समय था जब हर कोई अपने घर के अंदर पूरी तरह से बंद हो गया था। कोई भी अपने घरों से बाहर नहीं जा पा रहा था। कई लोगों ने अपने घर से ही काम किया। कुछ लोगों ने रचनात्मक कार्य किए। अधिकतम लोगों ने कुछ सीखना या कुछ नया बनाना शुरू किया।
    लॉकडाउन के दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा था। मैंने योगा, मेडिटेशन, हेयर ट्रिमिंग, थ्रेडिंग, वैक्सिंग, कुछ एक्सरसाइज नृत्य और गाना सीखा। मैंने लिखना शुरू किया और कुछ लेखन प्रतियोगिताओं में भाग लेकर कुछ प्रमाणपत्र भी हांसिल किए। मैंने छात्रों की मदद करने और अपने ज्ञान को साझा करने के लिए एक यूट्यूब चैनल शुरू किया। मैंने कोरोना काल में स्वच्छता से संबंधित जागरूकता फैलाना आरंभ किया। इसलिए, लॉकडाउन के दौरान मैंने कई ऐसे काम किए, जो मेरे लिए और दूसरों के लिए फायदेमंद साबित हुए।
     मुझे लगता है कि लॉकडाउन वह समय था, जब ईश्वर ने हमें खुद को और अपने कर्मों का निरीक्षण करने का समय दिया था कि हमें स्वयं पर कितना और क्या काम करना है और अपने कौशल में किस प्रकार सुधार करना है? और अपने शौक की किस प्रकार खोज करनी है। उस अवधि में परमेश्वर एकदम रोक दिया और हम सभी को यह आभास करवाया कि हमें स्वयं पर कार्य करके हमारी सुंदर- सुंदर पृथ्वी और हमारी सुंदर- सुंदर आत्मा को शुद्ध किया।
    सबसे महत्वपूर्ण बात जो हमने अकेले समय में सीखी थी वह थी अपने और अपने परिवार के साथ समय बिताना। लॉकडाउन की अवधि ने हमें अकेले और अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताना सिखाया है। हम फुल फॉर्म में रहना भूल गए। इसलिए, भगवान ने हर चीज को रोक दिया और हर किसी को यह अहसास करवाया कि हमें स्वयं को पहले से बेहतर जानने के लिए कभी-कभी सबकुछ करना बंद करना पड़ता है और स्वयं का अवलोकन करना आवश्यक होता है। तो लॉकडाउन के समय ने हमें सिखाया था कि दौड़ना बंद करें और खुद को थोड़ा समय दें।
    इस समय न तो कोई मंदिर खुल हुआ था सुना ही कोई विद्यालय, ना ही कोई पार्लर खुला था ना ही कोई बाज़ार। सब कुछ एकदम रुक- सा गया था । एकदम थम- सा गया था। अतः यह सत्य है, कि ईश्वर को ढूंढने हेतु हमें किस मंदिर मस्जिद या गुरुद्वारा या चर्च की आवश्यकता नहीं। वह तो हमारे ही भीतर हैं, सदैव हमारे सबसे करीब। हमेशा हमें राह दिखाते हैं, परंतु हम ही उनकी पुकार को अनसुना कर देते हैं।
           लॉकडाउन के समय में मेरी हर प्रकार की कला में सुधार आया। यही वह समय था जब मैं लेखनी से जुड़ी और अपनी लेखन कला को सुधार पाई। इस प्रकार लॉकडाउन का समय सच में मेरे लिए बेहद यादगार बन गया।

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4 Comments

Gunjan Kamal

17-Dec-2022 09:11 PM

शानदार

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Swati Sharma

18-Dec-2022 12:07 AM

Shukriya ma'am 🙏🏻

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Sachin dev

14-Dec-2022 04:16 PM

Well done

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Swati Sharma

18-Dec-2022 12:07 AM

Thank you Sir 🙏🏻

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